कौन हैं ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के रणनीतिकार

कौन हैं ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के रणनीतिकार

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के कायराना हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय सेना के इस ऑपरेशन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल अहम भूमिका निभाई। एनएसए डोभाल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की पल-पल की जानकारी पीएम मोदी को दे रहे थे।

पाकिस्तान के आतंकवादियों ने 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी थी। इसके बाद 07 मई की सुबह को भारत ने पाकिस्तान में रह रहे आतंकवादियों और उनके अड्डों को नष्ट करने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। जिसमें संसद पर हमले के मास्टरमाइंड मौलाना मसूद अजहर के परिवार समेत कई आतंकी मारे गए। इसके बाद पाकिस्तान ने दो रात को भारत के कई शहरों में ड्रोन और मिसाइल से हमले किये।

भारत ने इन हमलों का कड़ा जवाब दिया और इससे पाकिस्तान को मुहकी खानी पड़ी। भारत ने भी पाकिस्तान के कई अन्य शहरों में हमले किये ​जिससे उसको भारी नुकसान का सामना करना पड़ा। इसके बाद पाकिस्तान ने 10 मई को सीजफायर की घोषणा कर दी।

आठ देशों के समकक्षों से की बात

भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को शुरू करने से पहले एनएसए डोभाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लगातार बैठकें कीं। ऑपरेशन से पहले और बाद में भी अजीत डोभाल की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लगातार कई मुलाकातें की।

इन मुलाकातों के दौरान अजीत डोभाल ने पीएम मोदी को पाकिस्तान के ऊपर हो रही कार्रवाई की लगातार जानकारी देते रहे। इसके अलावा अजीत डोभाल ने कई देशों के अपने समकक्षों से बातचीत की। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के पहले चरण के बाद 07 मई को एनएसए अजीत डोभाल ने 8 देशों के समकक्षों से बात की।

उन्होने अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और यूएई जैसे आठ बड़े देशों से बात कर आतंकवाद के खिलाफ भारत की कार्रवाई की जानकारी दी। भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) के नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइलों से सटीक हमले किए। इन हमलों में कई आतंकवादी भी मारे गये।

एनएसए डोभाल ने अमेरिका के एनएसए एवं विदेश मंत्री मार्को रुबियो, ब्रिटेन के एनएसए जोनाथन पॉवेल, सऊदी अरब के एनएसए मुसैद अल ऐबन, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के एनएसए एचएच शेख तहनून, यूएई की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के महासचिव अली अल शम्सी, जापान के एनएसए मासाताका ओकानो, रूस के एनएसए सेर्गेई शोइगु, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की केंद्रीय समिति के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य एवं विदेश मंत्री वांग यी, फ्रांसीसी राष्ट्रपति के राजनयिक सलाहकार इमैनुएल बॉन से भी बातचीत की।

उन्होंने सभी को बताया कि हमने संतुलित, गैर-आक्रामक और संयमित कार्रवाई में केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया है।

तनाव बढ़ाना भारत का इरादा नहीं

अजीत डोभाल ने इस बात पर भी जोर दिया था कि भारत का इरादा तनाव बढ़ाने का नहीं है, लेकिन अगर पाकिस्तान तनाव बढ़ाने का फैसला करता है तो भारत दृढ़ता से जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है। एनएसए डोभाल ने साफ कर दिया है कि वे आने वाले दिनों में भी अपने समकक्षों के संपर्क में रहेंगे।

भारत के सुदर्शन चक्र ने चटाई धूल

पाकिस्तान ने भारत के कई शहरों के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की, जिसे भारत ने एस-400 डिफेंस सिस्टम यानी सुदर्शन और आकाश एयर डिफेंस सिस्टम से तबाह कर दिया।

भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान का मेड इन चाइना एचक्यू-9 एयर डिफेंस सिस्टम तबाह कर दिया। इससे पहले पाकिस्तान के कई शहरों में ड्रोन अटैक की भी खबरें आई थीं। पाकिस्तान ने दावा किया है कि उसके कराची, गुजरांवाला, लाहौर, रावलपिंडी समेत अलग-अलग शहरों में ड्रोन अटैक किए गए हैं।

‘जेम्स बांड’ के नाम से हैं प्रसिद्ध

अजीत डोभाल को ‘जेम्स बांड’ के नाम से भी माना जाता है। 1972 में भारत की खुफिया एजेंसी आईबी से जुड़ने के बाद उन्होंने कई ऐसे जोखिम भरे और साहसिक अभियान को अंजाम दिया है, जिन्हें सुनकर जेम्स बांड के किस्से भी फीके लगने लगते हैं।

अजीत डोभाल भारत के एकमात्र ऐसे नागरिक हैं, जिन्हें प्रतिष्ठित सैन्य सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान पाने वाले अजीत डोभाल पहले पुलिस अधिकारी हैं। कोरोना संकट में जब अमेरिका भारत में बनने वाली वैक्सीन के रॉ मैटेरियल को देने में आनाकानी कर रहा था तो अजीत डोभाल ही थे, जिन्होंने अपनी बुद्धि और कूटनीतिक समझ से अमेरिकी प्रशासन को राजी किया।

पीएम मोदी के बेहद करीबी

अजीत डोभाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है। दिल्ली दंगों से निपटने में उनकी सक्रियता और धारा 370 हटने के बाद कश्मीर में उनकी मौजूदगी भी चर्चा में रही। खुफिया विभाग में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन किए।

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वे मोदी और अमित शाह के बाद भारत के तीसरे सबसे ताकतवर व्यक्ति हैं। भारत के इतिहास में डोभाल पांचवें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। यह पद 1998 में अमेरिका की तरह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने बनाया था। पहले एनएसए ब्रजेश मिश्रा थे।

370 हटने के बाद कश्मीर में डाला डेरा

अगस्त 2019 में जब कश्मीर में धारा 370 हटाई गई तो अजीत डोभाल ने शुरुआती दिनों में पूरे एक पखवाड़े तक कश्मीर में डेरा डाला था। उस दौरान उनका एक वीडियो भी वायरल हुआ था। इसमें वे कश्मीर के सबसे तनावग्रस्त इलाकों में से एक शोपियां में स्थानीय लोगों के साथ बिरयानी खाते हुए दिखाई दे रहे थे।

एक और वीडियो में उन्हें जम्मू-कश्मीर पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के जवानों के साथ बात करते हुए भी देखा गया। इन दोनों वीडियो से कश्मीर के बाहर रहने वाले लोगों को यह संदेश गया कि कश्मीर में शांति है और वहां हालात नियंत्रण में हैं।

पहली नियुक्ति अजीत डोभाल की

साल 2014 में जब भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई तो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद के लिए कई नामों पर विचार हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजीत डोभाल को एनएसए की जिम्मेदारी सौंपी। फिर उसके बाद दूसरे और तीसरे कार्यकाल में भी उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई।

इससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि अजीत डोभाल प्रधानमंत्री मोदी के कितने करीबी और विश्वसनीय हैं। अजीत डोभाल को हर संभावित खतरे से निपटने की विशेष रणनीति तैयार करने की कला में बेजोड़ हैं।

डोभाल की सलाह पर बुलाए गए शरीफ

आम तौर पर माना जाता है कि 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके शपथ ग्रहण समारोह में दक्षिण एशियाई नेताओं को बुलाने की सलाह विदेश मंत्रालय के किसी अधिकारी ने दी होगी।

मगर, हकीकत यह है कि पीएम मोदी ने अजीत डोभाल की सलाह पर यह न्योता दिया था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भी इस न्योते को स्वीकार किया और मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लिया था। इसे पड़ोसी देशों से संबंध सुधारने की दिशा में एक बड़ा कदम माना गया था।

लालडेंगा को डोभाल ने मनाया

एक आईबी अधिकारी के तौर पर अजीत डोभाल ने भूमिगत मिजो नेशनल फ़्रंट के नेतृत्व में घुसपैठ की और उनके कई कमांडरों को अपनी तरफ कर लिया। इसका नतीजा यह हुआ कि एमएनएफ के नेता लालडेंगा को भारत से शांति वार्ता करने के लिए मजबूर होना पड़ा। डोभाल लालडेंगा के ड्रिंकिंग पार्टनर बन गए और उनका विश्वास जीतने में पूरी तरह से सफल रहे।

डोकलाम में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

पीएम मोदी ने 2017 में हुए डोकलाम विवाद के दौरान चीन के साथ सीमा विवाद पर डोभाल को अपना मुख्य वार्ताकार नियुक्त किया। कूटनीतिक हल्कों में यह बात चल रही थी कि डोभाल ने मोदी से यह भूमिका अपने लिए मांगी थी।

विदेश नीति पर नज़र रखने वाले जानकारों का मानना है कि डोभाल ने इस मामले में प्रधानमंत्री को निराश नहीं किया है। उन्होंने बड़ी ही कामयाबी के साथ डोकलाम विवाद खत्म कराने में अहम भूमिका निभाई थी।

सर्जिकल, एयर स्ट्राइक में अहम रोल

2016 में जम्मू-कश्मीर के उरी में सुरक्षाबलों पर आतंकियों ने हमला किया था। उस वक्त भी पूरा देश गुस्से में था। सरकार पर भी कार्रवाई करने का दबाव था। ऐसे में सितंबर 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और फरवरी 2019 में पाकिस्तान में सीमा पार बालाकोट हवाई हमले भी डोभाल की देखरेख में हुए थे। इन दोनों ही स्ट्राइक में डोभाल की बड़ी एक्टिव भूमिका थी।

सैन्य ऑपरेशन की संभाली कमान

अजीत डोभाल ने सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग के साथ मिलकर म्यांमार में नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड के उग्रवादियों के खिलाफ सफल सैन्य अभियान का भी नेतृत्व किया था। वह मिजोरम और पंजाब में उग्रवाद विरोधी अभियानों में सक्रिय रूप से शामिल रहे। 1984 में खालिस्तानी उग्रवाद को दबाने के लिए ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के लिए खुफिया जानकारी जुटाई थी।

कंधार विमान अपहरण कांड 

अजीत डोभाल ने 1999 में कंधार में भारत के विमान आईसी-814 से यात्रियों की रिहाई में तीन वार्ताकारों में से एक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 1971 और 1999 के बीच इंडियन एयरलाइंस के विमानों के कम से कम 15 अपहरणों को सफलतापूर्वक समाप्त किया।

डोभाल के पिता सेना में थे अधिकारी

अजीत डोभाल 1968 बैच के केरल कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। उनका जन्म 20 जनवरी, 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के घीड़ी गांव में हुआ था। अजीत डोभाल के पिता जीएन डोभाल भारतीय सेना में अधिकारी थे। उनकी स्कूलिंग राजस्थान के अजमेर स्थित किंग जॉर्ज रॉयल इंडियन मिलिट्री स्कूल (अब अजमेर मिलिट्री स्कूल) से हुई।

अजीत डोभाल को दिसंबर 2017 में आगरा विश्वविद्यालय से विज्ञान में मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया। मई 2018 में उन्हें कुमाऊं विश्वविद्यालय से साहित्य में मानद डॉक्टरेट की उपाधि मिली। 1972 में 2 जनवरी से 9 जनवरी तक अजीत डोभाल ने केरल के थालास्सेरी में काम किया और उन्हें तत्कालीन गृह मंत्री के करुणाकरण ने इलाके में कानून और व्यवस्था बहाल करने के लिए नियुक्त किया था।

अजीत डोभाल ने एक दशक से अधिक तक इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के संचालन विंग का नेतृत्व किया। जनवरी 2005 में अजीत डोभाल इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए। दिसंबर 2009 में, विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के संस्थापक निदेशक बने। जुलाई 2014 में, उन्होंने इराक के तिकरित में एक अस्पताल में फंसी 46 भारतीय नर्सों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की।

Yogi Varta

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