जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और आईएआरआई के बीच हुआ समझौता

गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली के बीच आज एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।
यह समझौता कृषि क्षेत्र में अनुसंधान, बीज उत्पादन, तकनीकी नवाचार, एवं अकादमिक सहयोग को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
समारोह का आयोजन विश्वविद्यालय के कुलपति सभागार में किया गया। इस अवसर पर पंतनगर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान एवं आईएआरआई के निदेशक एवं कुलपति डॉ. सीएच. श्रीनिवासा राव ने औपचारिक रूप से समझौते पर हस्ताक्षर किए।
समारोह में आईएआरआई के संयुक्त निदेशक (शोध) डॉ. विष्णनाथ चुन्नुस्वामी, आनुवांशिकी विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल कृष्णन, बीज उत्पादन प्रभारी डॉ. ज्ञानेन्द्र सिंह तथा विश्वविद्यालय के निदेशक शोध डॉ. ए.एस. नैन, संयुक्त निदेशक बीज उत्पादन केंद्र डॉ. ए.एस. जीना, कुलसचिव समेत कई अधिष्ठाता व निदेशक उपस्थित रहे।
‘यह साझेदारी कृषि क्षेत्र में शोध को नया आयाम देगी। आईएआरआई द्वारा विकसित उच्च गुणवत्ता वाली फसल प्रजातियों के बीज, पंतनगर विश्वविद्यालय की बीज उत्पादन प्रणाली के माध्यम से किसानों तक पहुंचेंगे। खासकर मक्का की गुणवत्ता बीज उत्पादन पर विशेष बल दिया जाएगा, जिसे इथेनॉल उत्पादन के लिए बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जा रहा है।’
— कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान
आईएआरआई निदेशक डॉ. सीएच. श्रीनिवासा राव ने कहा कि समृद्ध भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए बीज की गुणवत्ता और उत्पादन बेहद जरूरी है। हमें अनुसंधान एवं प्रसंस्करण क्षमताओं को मजबूत करना होगा। यह समझौता ज्ञान के अंतर को कम करने और संयुक्त रूप से नवीन फसल प्रजातियों के विकास में सहयोग प्रदान करेगा।
डॉ. राव ने हाल ही में आयोजित 17वें कृषि विज्ञान सम्मेलन की सफलता का उल्लेख करते हुए फसल प्रजातियों, विशेष रूप से खाद्यान्न, दलहनी, तिलहनी, सब्ज़ी और पुष्प प्रजातियों में आईएआरआई की उपलब्धियों को साझा किया।
‘पूसा-पंत’ नाम से आएंगी संयुक्त प्रजातियां
आईएआरआई के संयुक्त निदेशक डॉ. चुन्नुस्वामी ने कहा कि पंतनगर विश्वविद्यालय की बीज उत्पादन क्षमताएं, विशेष रूप से प्रजनक बीज उत्पादन, इस समझौते से और बेहतर होंगी। भविष्य में ‘पूसा-पंत’ ब्रांड नाम से संयुक्त फसल प्रजातियों का विकास किया जाएगा।
समझौता कार्यक्रम के उपरांत आईएआरआई निदेशक एवं उनकी टीम ने नारमन ई. बोरलॉग फसल अनुसंधान केन्द्र, पंतनगर का भी भ्रमण किया।