वैकल्पिक मार्ग बढ़ाएगा चारधाम यात्रियों की सुविधा : त्रिवेन्द्र सिंह रावत

हरिद्वार लोकसभा सांसद और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने चारधाम यात्रा मार्ग पर लगातार बढ़ रहे यातायात दबाव को देखते हुए एक बड़ा प्रस्ताव रखा है, जिससे चारधाम यात्रियों को सुविधा मिलेगी और क्षेत्र में सुरक्षित, तेज व वैकल्पिक आवागमन का मार्ग सुलभ हो सकेगा।
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 24 जुलाई 2025 को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को एक पत्र लिखकर चंडी घाट–चीला बैराज–परमार्थ निकेतन–मोहन चट्टी पुल होते हुए बद्रीनाथ मार्ग से पुनः जुड़ने वाले मार्ग को विकसित कर 04 लेन राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने का आग्रह किया था।
केंद्रीय मंत्री ने लिया संज्ञान
इस पत्र का संज्ञान लेते हुए नितिन गडकरी ने संबंधित विभागों को इस दिशा में आवश्यक कार्रवाई हेतु निर्देशित कर दिया है। यह प्रस्ताव जिस तरह से आगे बढ़ रहा है, उससे संकेत मिलते हैं कि निकट भविष्य में यह राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना धरातल पर उतर सकती है।
वैकल्पिक मार्ग से लाभ
यह नया वैकल्पिक मार्ग न केवल चारधाम यात्रा को आसान बनाएगा, बल्कि हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे तीर्थ स्थलों के बीच यातायात के बोझ को भी कम करेगा।
- गंगा नदी के किनारे के धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों को बेहतर कनेक्टिविटी देगा।
- तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को भीड़भाड़ से बचाकर सुरक्षित व त्वरित यात्रा का विकल्प देगा।
- क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा देगा और स्थानीय व्यवसाय व रोजगार के नए अवसर खोलेगा।
- आपदा की स्थिति में एक बैकअप रूट की तरह कार्य करेगा, जिससे आपातकालीन राहत एवं बचाव कार्यों में तेजी लाई जा सके।
सांसद की पहल
त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा, ‘चारधाम यात्रा में हर वर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं, और मौजूदा सड़कों पर दबाव लगातार बढ़ रहा है। यह वैकल्पिक मार्ग न केवल यात्रा को सुगम बनाएगा, बल्कि उत्तराखंड की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक प्रगति में भी अहम भूमिका निभाएगा।’
उन्होंने इस प्रस्ताव पर त्वरित संज्ञान लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का आभार जताया और आशा जताई कि इस परियोजना का शीघ्र क्रियान्वयन उत्तराखंड को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
हरिद्वार से होकर बद्रीनाथ जाने वाले इस वैकल्पिक मार्ग की घोषणा और प्रस्ताव को लेकर स्थानीय जनता, तीर्थयात्रियों और पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों में उत्साह और उम्मीद का माहौल है।
अगर यह परियोजना अपने तय समय में पूरी होती है, तो यह न केवल एक सड़क का निर्माण होगा, बल्कि यह उत्तराखंड की आस्था, पर्यटन और विकास यात्रा में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।