क्या मां यमुना और मां गंगा अपने ही उद्गम पर प्रदूषण से व्यथित हैं ?

क्या मां यमुना और मां गंगा अपने ही उद्गम पर प्रदूषण से व्यथित हैं ?

आजकल चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। चारधाम यात्रा के लिए देश के कोने कोने से श्रद्धालु आ रहे हैं और चारधाम की यात्रा उनके मन को भा रही है। यात्रा के दौरान कई श्रद्धालु जब किसी पवित्र स्थान पर स्नान कर रहे हैं तो वह वहां पर अपने वस्त्र छोड़ देते हैं जिससे यहां के पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है।

आज हम आपको लेकर चलते हैं मां यमुना के पावन धाम यमुनोत्री, जहां एक दुखद और चिंताजनक दृश्य देखने को मिला। श्रद्धालु महिलाएं बड़ी संख्या में मां यमुना में वस्त्र, श्रृंगार सामग्री और अन्य पूजा सामग्री प्रवाहित कर रही हैं — ठीक वहीं, जहां मां यमुना का उद्गम होता है।

गंगा विच मंच के वालंटियर्स के अनुसार… हमने इन सभी दृश्यों को कैमरे में रिकॉर्ड किया है ताकि यह संदेश केवल जनमानस तक नहीं, बल्कि सरकारी मंत्रालयों तक पहुंचे और समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें।

आप देख सकते हैं कि इन दिनों यमुनोत्री धाम में प्रतिदिन 10 से 15 हजार तीर्थयात्री पहुंच रहे हैं। इनमें से लगभग 90% श्रद्धालु मां यमुना में स्नान करते हैं। परंतु स्नान के साथ-साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां यमुना और मां गंगा को कपड़े, धोती, साड़ी और श्रृंगार सामग्री ‘भेंट’ स्वरूप जलधारा में प्रवाहित करते हैं।

यह धार्मिक भक्ति नहीं, एक अनजाने में किया गया पर्यावरणीय अपराध है।

विशेष रूप से महिला तीर्थयात्रियों द्वारा मां यमुना में बड़े पैमाने पर साड़ियां, श्रृंगार सामग्री, पुराने वस्त्र आदि विसर्जित किए जा रहे हैं। यह प्रवृत्ति मां यमुना को पवित्र करने के बजाय उन्हें और अधिक मैलाकर रही है। इन वस्त्रों से न तो मां का श्रृंगार होता है, न ही वे प्रसन्न होती हैं — बल्कि वे व्यथित और अश्रुपूरित होती हैं।

गंगा विचार मंच की अपील:

गंगा विचार मंच उत्तराखंड की ओर से हम सभी श्रद्धालुओं, तीर्थयात्रियों और स्थानीय नागरिकों से निवेदन करते हैं कि —

  • मां यमुना और मां गंगा में कोई भी वस्त्र, पूजा सामग्री या श्रृंगार वस्तुएं प्रवाहित न करें।
  • यदि आप कुछ भेंट करना चाहते हैं, तो उसे मुख्य मंदिर — गंगोत्री मंदिर या यमुनोत्री मंदिर — में अर्पित करें।
  • या फिर जरूरतमंद लोगों को ये वस्तुएं दान करें।

मां यमुना और मां गंगा आपकी इस सचेत श्रद्धा से अधिक प्रसन्न होंगी और आपको अपना आशीर्वाद, स्नेह और शक्ति प्रदान करेंगी।

अंतिम संदेश:

मां गंगे! मां यमुना!

हमारी आस्था को आपके प्रति सम्मान के साथ जोड़ें — प्रदूषण के साथ नहीं।

  • भक्ति का अर्थ मां को कचरा देना नहीं, बल्कि संवेदनशीलता से उन्हें नमन करना है।
  • जल को पवित्र रखें — यही सच्चा श्रद्धा-सुमन है।
  • जय मां गंगे! जय मां यमुना! नमामि गंगे।

लोकेंद्र सिंह बिष्ट
प्रदेश संयोजक, गंगा विचार मंच उत्तराखंड

 

Yogi Varta

Yogi Varta

Related articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *