तनाव से मुक्ति के लिए आयुर्वेदिक एवं प्राकृतिक चिकित्सा जरूरी

उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (प्रशासन) आनंद स्वरूप ने कहा कि आजकल की व्यस्त जीवनशैली और बढ़ते तनाव के कारण कर्मचारियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
ऐसे में आयुर्वेदिक चिकित्सा और प्राकृतिक उपचार स्वस्थ रहने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। यह बात उन्होंने उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में आयोजित मासिक प्राकृतिक चिकित्सा शिविर के उद्घाटन के अवसर पर कही।
आनंद स्वरूप ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से कर्मचारी न केवल विपरीत परिस्थितियों में तनाव मुक्त रहते हुए दबाव को अच्छे से संभाल सकते हैं, बल्कि स्वस्थ जीवन की ओर भी अग्रसर हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि शिविर में कर्मचारियों को योग, प्राणायाम और सही दिनचर्या की जानकारी प्रदान की गई।
उन्होंने कहा कि यूएसडीएमए तथा आपदा प्रबंधन विभाग के कर्मचारी हमेशा एलर्ट मोड पर रहते हैं, और दिन हो या रात, आवश्यकता पड़ने पर तुरंत ही कार्यालय पहुंचकर कार्य करते हैं। हमारे कर्मचारियों का निरोगी और स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है, इस उद्देश्य से यह शिविर आयोजित किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि हर महीने एक दिवसीय शिविर आयोजित किया जाएगा।
संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो. ओबैदुल्लाह अंसारी ने बताया कि शिविर में 86 अधिकारियों और कर्मचारियों का नि:शुल्क स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। साथ ही सभी को नि:शुल्क आयुर्वेदिक औषधियां भी वितरित की गईं। शिविर में योग, प्राणायाम, संतुलित दिनचर्या और ऋतुचर्या (ऋतु अनुसार जीवनशैली) पर विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन दिया गया।
शिविर का संचालन डॉ. मिथिलेश कुमार, जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, देहरादून के नेतृत्व में किया गया। इस अवसर पर डॉ. रत्ना त्रिपाठी (प्रभारी चिकित्साधिकारी), मनेश कुमार (फार्मेसी अधिकारी, चिड़ियामंडी), नितिन कपरवाण (फार्मेसी अधिकारी) और राजेश कुमार (सेवक) ने भी सक्रिय सहभागिता निभाई।
डॉ. मिथिलेश कुमार ने बताया कि आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाएं विभाग प्राकृतिक चिकित्सा विभाग द्वारा लगातार इस तरह के शिविरों का आयोजन कर रहा है, ताकि कर्मचारी तनावमुक्त और स्वस्थ जीवनशैली अपना सकें।
आयुर्वेद संपूर्ण स्वास्थ्य संवर्धन का माध्यम
सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन का कहना है कि आयुर्वेद न केवल रोग निवारण, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य संवर्धन का माध्यम बन सकता है।
इस शिविर के माध्यम से हम अपने अधिकारियों और कर्मचारियों को प्राकृतिक चिकित्सा के लाभों से परिचित कराना चाहते हैं, जिससे वे कार्यस्थल पर अधिक सकारात्मकता और उत्पादकता के साथ योगदान दे सकें।
उन्होंने उम्मीद जताई कि यह शिविर न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक कल्याण की दिशा में भी अहम योगदान प्रदान करेगा।