लॉकडाउन ने दिमाग को 5 महीने बूढ़ा कर दिया, वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला खुलासा!

क्या आपने भी महसूस किया है कि लॉकडाउन के बाद आपकी याददाश्त पहले जैसी तेज़ नहीं रही? क्या कभी ऐसा लगा कि मानसिक थकान बढ़ गई है या छोटी-छोटी बातें भूलने लगे हैं? तो जानिए, यह सिर्फ आपका भ्रम नहीं, बल्कि वैज्ञानिकों ने इसकी की पुष्टि है!
‘नेचर’ जर्नल में प्रकाशित एक नई वैज्ञानिक स्टडी ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है कि कोरोना महामारी और उससे जुड़े लॉकडाउन ने हमारे दिमाग को औसतन 5.5 महीने ‘बूढ़ा’ कर दिया। यह प्रभाव उन लोगों में भी देखा गया, जो कभी कोविड से संक्रमित नहीं हुए थे!
वैज्ञानिकों ने हजारों लोगों के ब्रेन स्कैन की तुलना की, महामारी से पहले और बाद के। परिणामों ने दिखाया कि जिन लोगों ने लॉकडाउन का अनुभव किया, उनका मस्तिष्क समय से पहले उम्रदराज हो गया।
यह असर सिर्फ वायरस का नहीं था, बल्कि उस माहौल का भी जिसमें हम जी रहे थे :
- सामाजिक अलगाव
- भविष्य की चिंता
- आर्थिक असुरक्षा
- मानसिक तनाव और अकेलापन
क्या यह असर स्थायी है?
स्टडी इस नुकसान को स्थायी नहीं मानती, लेकिन यह एक गंभीर चेतावनी है कि हमें अपने मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज़ नहीं करना चाहिए।
तो क्या इसका इलाज है? बिलकुल! रिसर्च यह साबित करती हैं कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर मस्तिष्क की सेहत को दोबारा बेहतर किया जा सकता है।
दिमाग को फिर से जवान और तेज़ बनाने के 5 आसान उपाय:
मस्तिष्क की कसरत करें – पजल्स, नई भाषा या कोई नई स्किल सीखें।
सामाजिक रहें – अपनों से मिलें, बातें करें, रिश्तों को समय दें।
शारीरिक सक्रियता – रोज़ाना 30 मिनट चलना या हल्की एक्सरसाइज़।
संतुलित आहार लें – ओमेगा-3 से भरपूर चीज़ें जैसे अखरोट, अलसी और हरी सब्जियां खाएं।
तनाव प्रबंधन करें – ध्यान, गहरी सांस या पसंदीदा हॉबी अपनाएं।
लॉकडाउन ने हमारे शरीर के साथ-साथ हमारे दिमाग पर भी असर डाला है। लेकिन अच्छी बात यह है कि हमें अभी भी कंट्रोल वापस लेने का मौका मिला है।