पहलगाम हमला : कश्मीर के पर्यटन उद्योग को कमजोर करने की कोशिश

पिछले कुछ सालों से जम्मू कश्मीर में पर्यटकों की संख्या में काफी बढ़ोतरी देखी जा रही थी और यहां के हालात धीरे-धीरे सामान्य नजर आ रहे थे लेकिन पहलगाम में हुआ आतंकी हमला यहां आने वाले पर्यटकों में दहशत फैलाने के इरादे से किया गया है और इस प्रयास में आतंकवादी कभी कामयाब नहीं हो सकते।
हाल ही में कश्मीर की सबसे खूबसूरत वादियों में से एक पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने जम्मू-कश्मीर में पर्यटन क्षेत्र को भी करारा झटका दिया है। इसके साथ ही पर्यटन से जुड़े लाखों कश्मीरियों के जीवन को घोर निराशा में डाल दिया है।
एक अनुमान के अनुसार जम्मू-कश्मीर में लगभग पांच लाख लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से पर्यटन उद्योग-कारोबार में रोजगार मिलता है और जब यहां पर पर्यटक नहीं आयेंगे तो इससे इन लोगों की आर्थिक पर भी बहुत प्रभाव पड़ेगा।
इनमें से अधिकांश लोगों का जीविका का साधन टैक्सी सर्विस, होटल, गाइड, हस्तशिल्प और पर्यटन से जुड़ी गतिविधियां हैं। इस आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों की संख्या में कमी आने की उम्मीद है जिससे यहां के लोगों के कारोबार में कमी आयेगी।
इस आतंकी हमले के बाद बड़ी संख्या में पर्यटक अपने होटल एवं फ्लाइट की बुकिंग कैंसिल करा रहे हैं। इसका सीधा असर वहां के पर्यटन उद्योग-कारोबार और स्थानीय लोगों की आर्थिकी पर दिखाई दे रहा है। इससे यहां के लोग भी काफी परेशान हैं।
गौरतलब रहे कि दो दशक पहले जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था, जब कश्मीरी हिंदू घाटी छोड़कर जा रहे थे, उस समय कश्मीर में पर्यटकों की संख्या नगण्य हो गई थी, लेकिन जब जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटाया गया और उसके बाद विधानसभा चुनाव अच्छी तरह से सम्पन्न हो गये तो उसके बाद माहौल में बदलाव हुआ और जम्मू कश्मीर में देश-विदेश के पर्यटकों के कदम तेजी से बढ़ने लगे। पर्यटकों की संख्या के दम पर राज्य की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ने लगी थी।
पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होने से साल 2024-25 में जम्मू-कश्मीर की विकास दर सात प्रतिशत से अधिक रही। उसका सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) लगभग 2.65 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यहां के लोगों की प्रति व्यक्ति आय भी करीब 11 प्रतिशत बढ़कर डेढ़ लाख रुपये से अधिक हो गई।
इस कारण बेरोजगारी दर भी घटी है। जम्मू-कश्मीर में पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई। साल 2020 में यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या करीब 34 लाख थी जो साल 2023 में बढ़कर 2.11 करोड़ तक पहुंच गई।
इसके बाद यह संख्या 2024 में बढ़कर 2.36 करोड़ पहुंच गई, जो एक रिकार्ड है। इस समय प्रदेश के पर्यटन उद्योग का आकार लगभग 12 हजार करोड़ रुपये का है। आर्थिक गतिविधियों के दायरे में वृद्धि होने से जम्मू-कश्मीर की आर्थिकी में सेवा क्षेत्र का योगदान करीब 61 प्रतिशत हो गया है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह करीब 55 प्रतिशत ही है।
राज्य के गैर कर राजस्व में पर्यटन क्षेत्र की हिस्सेदारी तेजी से बढ़कर 25 प्रतिशत से अधिक हो गई है, लेकिन अब इस आतंकी हमले ने पर्यटन कारोबार को संकट में डाल दिया है। साल 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमले के कारण भी जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को बड़ा झटका लगा था और पर्यटकों की संख्या घटकर आधी रह गई थी।
अगर हम पर्यटन मंत्रालय की रिपोर्ट पर गौर करें तो भारत में साल 2023 में 1.89 करोड़ अंतरराष्ट्रीय पर्यटक आये थे। उस साल पर्यटन के माध्यम से विदेशी मुद्रा आय बढ़कर 2.32 लाख करोड़ रुपये हो गई थी।
घरेलू पर्यटक भी देश के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर गए। इसके बावजूद भारत में पर्यटन उद्योग अभी बहुत पीछे है। पर्यटकों का खर्च स्थानीय अर्थव्यवस्था में पुनः निवेश का काम करता है।
पर्यटकों की संख्या बढ़ने से रोजगार और पर्यटन से जुड़े विभिन्न उद्योग-कारोबार भी बढ़ते हैं। उम्मीद है कि मोदी सरकार कुछ ऐसे कदम उठाएगी, जिससे पहलगाम आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में पर्यटन पर छाए निराशा के बादल छंटेंगे और यहां पर पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी।
जम्मू कश्मीर की स्थिति में दिन प्रति दिन हो रहे बदलाव पाकिस्तान को अच्छा नहीं लग रहा है। पाकिस्तानी सरकार और उनकी खुफिया एजेंसियां यहां के सुधरते हालात से परेशानी हो रही है और उसी का परिणाम है कि वह गाहे बगाहे ऐसे आतंकी हमला करवा देती है।
जिससे कि जम्मू कश्मीर का माहौल बिगड़े और यहां पर आने वाले पर्यटकों के मन में दहशत पैदा हो और वह यहां आने से कतरायें। जम्मू कश्मीर में अमन चैन का माहौल बनता देख पाकिस्तान के शरारती तत्व यहां के माहौल को बिगाड़ने की कोशिश करते रहते हैं।
पहलगाम में हुए हमले के बाद भारत ने भी पाकिस्तान के खिलाफ कठोर कदम उठाने का फैसला किया और इन फैसलों की जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट सुरक्षा समिति के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विक्रम मिस्री ने एक प्रेस कॉफ्रेंस में दी।
उन्होंने प्रेस कॉफ्रेंस में बताया कि इस बैठक में चर्चा के बाद भारत ने 5 बड़े फैसले लिए है। सिंधु जल समझौता को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है। भारत ने पाकिस्तान से लगने वाली अटारी बॉर्डर चेक पोस्ट बंद कर दिया है।
पाकिस्तानियों का सार्क वीजा रद्द किया। पाकिस्तानियों को 48 घंटे में भारत छोड़ना होगा। पाकिस्तान उच्चायोग में पाक सैन्य सलाहकारों का पद खत्म किया और दोनों उच्चायोग में कर्मियों की संख्या 55 से घटाकर 30 कर दिया गया।
पहलगाम के कायराना हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर कड़ी कार्रवाई की। जिसकी वजह से पाकिस्तान के बड़े नेता अपना होश खो बैठे हैं। इस कड़ी में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सहयोगी बिलावल भुट्टो जरदारी ने सिंधु जल संधि विवाद पर भड़काऊ टिप्पणी करते हुए कहा कि नदी में खून बहेगा।
जरदारी ने एक सार्वजनिक रैली में कहा कि मैं इस सिंधु नदी के साथ खड़ा हूं और भारत को संदेश देता हूं कि सिंधु नदी हमारी है, या तो हमारा पानी इस नदी में बहेगा या आपका खून बहेगा।
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद कई देशों के नेताओं ने इस घटना पर अपना दुख व्यक्त किया। जिसमें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग समेत कई राष्ट्राध्यक्षों ने इस हमले की घोर निंदा की।
इस आतंकी हमले के बाद अमेरिकी रक्षा विभाग के पूर्व अधिकारी माइकल रूबिन ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर की तुलना ओसामा बिन लादेन से की है और अमेरिका से पाकिस्तान को आतंकवादी राष्ट्र घोषित करने की मांग की है। उन्होंने भारत को इस्राइल की तर्ज पर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की सलाह दी है।
लेकिन भारत भी अपने विकल्पों का आकलन सावधानी से करेगा।