होली : हर्बल रंग बनाने के लिए हो रहा है पालक और चुकंदर का प्रयोग

होली : हर्बल रंग बनाने के लिए हो रहा है पालक और चुकंदर का प्रयोग

होली का त्योहार रंगों और खुशियों का प्रतीक है। रंगों की बढ़ती मांग को देखते हुए बाजार में रासायनिक रंग बिकते हैं। लेकिन इन रंगों से त्वचा और आंखों को नुकसान पहुंचने का खतरा बना रहता है। इसे देखते हुए लोग हर्बल रंगों की डिमांड कर रहे हैं।

ऐसे में सरकारी योजनाओं की सहायता से जिले में कुछ महिलाएं हर्बल रंग बनाने का काम रही हैं। यह रंग हाथों-हाथ बिक रहे है। इन्ही महिलाओं में शामिल है विकास खंड पौड़ी के निसणी गांव की रीना देवी। रीना व्यक्तिगत रूप से घर पर ही हर्बल रंग बना रही हैं।

दरअसल रीना के मन में लंबे समय से स्वरोजगार करने की चाह थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में चल रहे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) उनकी योजना को धरातल में उतारने में सहायक बना।

मिशन ने काम शुरू करने के लिए उनको शुरुआत में पांच हजार रूपये रिवाल्विंग फंड दिया। साथ ही बैंक में डेढ़ लाख रूपये की कैश क्रेडिट लिमिट (सीसीएल) बनाई। ताकि स्वरोजगार के लिए धन की कमी आड़े न आए।

वर्तमान में होली के त्योहार को देखते हुए रीना देवी घर पर ही स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री से हर्बल रंग तैयार कर बाजार में बेच रही है। रीना ने बताया कि प्राकृतिक रंग बनाने के लिए उन्होंने पालक और चुकंदर सहित अन्य वस्तुओं का प्रयोग किया। उनके द्वारा बनाया गया हर्बल रंग स्थानीय स्तर पर आयोजित कार्यक्रमों में हाथों-हाथ बिक गया। इसके अलावा उन्होंने कुछ पैकेट बिक्री के लिए यूपी के गाजियाबाद भेजे हैं।

रीना ने बताया कि अभी रंगों का उत्पादन सीमित है। लेकिन बाजार में हर्बल रंगों की डिमांड देखते हुए अगले साल से वह समूह के साथ मिलकर वृहद स्तर पर इस कार्य को करेंगी। उन्होंने बताया कि एक हफ्ते में उन्हे रंग बेचकर छः हजार रूपये से अधिक का मुनाफा हुआ है।

मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवंत का कहना है कि मातृ शक्ति को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार विभिन्न योजनाएं चला रही हैं। इसके तहत उन्हे आर्थिक सहयोग के साथ तकनीकी सहायता भी दी जा रही है। जिले में कई समूह और महिलाएं अनुकरणीय उदाहरण पेश कर रही हैं।

Yogi Varta

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